لا تكتب شِعراً عمّا يحدث. | |
ما من شيء، في حضرة الشِعر، يولدُ أو يموت. | |
مقارنةً به، ما الحياة إلاّ شمس خامدة | |
لا دفء فيها ولا نور. | |
الصداقات، أعياد الميلاد، الأمور الشخصيّة، لا تهمّ. | |
لا تكتب شِعراً بالجسد، | |
فذلك الجسد الممتاز، الكامل، المنعَّم يعترض على السيَلان الغنائي. | |
غضبك، تشنّجات لذّاتك أو ألملك في الظلام، لا تعني شيئاً. | |
لا تتبجّح بإظهار أحاسيسك | |
التي تستفيد من الإلتباس وتقوم برحلة طويلة. | |
ما تفكر أو تشعر به، لم يقارب أن يكون شعراً بعد. | |
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لا تغنِّ مفاتن مدينتك، دعها وشأنها. | |
الأغنية ليست حركة الآلات، أو سرّ البيوت. | |
إنّها ليست موسيقى سُمعت بشكل عابر، | |
ولا ضجيج البحر في الشوارع التي تحاذي حواف الزبَد. | |
الأغنية ليست الطبيعة | |
أو بشراً في مجتمع. | |
لا المطر ولا الليل يعنيان لها شيئاً، | |
أو التعب أو الأمل. | |
فالشِعر: إنّك لا تناله من الأشياء، | |
يحذف كلا الموضوع والمادة. | |
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لا تفعل الدراما، لا تستثر، | |
لا تتحرَّ. لا تضيّع الوقت في قول الأكاذيب. | |
لا تقلق. | |
إنّ يختك العاجيّ، حذاءكَ الماسيّ، | |
ترّهاتك وتطيّراتك، وهياكل العائلة العظمية | |
تختفي كلّها في منعطف الزمان، فهي لا تسوى شيئاً. | |
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لا تبتعث | |
طفولتك المدفونة المليئة بالشجن. | |
لا تتأرجح بين المرآة | |
وذاكرتك المتلاشية. | |
ما يتلاشى لم يكن شِعراً | |
ما ينكسر، لم يكن من البلّور. | |
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إخترق، خفيةً، ملكوت الكلمات. | |
هنا تضطجع القصائد بانتظار أن تُكتب. | |
إنّها مشلولة، لكنّها غير يائسة. | |
كلّ شيء هادئ وطريّ على السطح الذي لم يُلمَس. | |
إنّها، هنا، وحيدة وخرساء، في حالة القاموس. | |
قَبْل أنْ تكتبها، عليك أنْ تعيش مع قصائدك، | |
إذا كانت غامضة، عليك باالصبر. إذا استثارتك، كن هادئ الأعصاب. | |
إنتظر أن تتجسّد كلّ واحدة وتستهلك نفسها في سلطان اللغة | |
وسلطان الصمت. | |
لا تجبر القصيدة على الخروج من الصراط. | |
لا تلتقط من الأرض القصيدة التي ضاعت. | |
لا تُطْرِ القصيدة. إقبلْ بها | |
كما أنّها ستقبل شكلها الخاص، نهائيّاً وثابتاً في الفضاء | |
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إقترب وتأمّل الكلمات. | |
لكلّ منها | |
ألفُ وجه سرّي تحت وجهها الحيادي | |
وتسألك، دون أن تأبه بالجواب | |
الذي ستعطيه، سواءً كان بائساً أو مرعباً: | |
هل جئتَ بالمفتاح؟ | |
. | |
إنتبه: | |
إنّ الكلمات، محرومةً من اللحن والمعنى | |
قد لاذت بالليل. | |
إنّها تتقلّب وهي ما زالت فاترةً ومشبّعة بالنوم | |
في نهر صعب، وتستحيل إلى احتقار. | |
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ترجمها سركون بولص |
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سركون بولص
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كارلوس دي أندرادي
» البحث عن الشِعر | كارلوس دروموند دو أندراد / Carlos de Andrade
البحث عن الشِعر | كارلوس دروموند دو أندراد / Carlos de Andrade
Written By تروس on الخميس، 10 مارس 2016 | مارس 10, 2016
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