لم أستطع تسميته: ذلك الحزن | |
اللذيذ المتدفّق فيّ منذ أسابيع. | |
لذا مسحت الغبار، ووجدتني واقفة | |
في غرفة، وفي يدي خرقة، | |
والطيور تشدو: (آن وقت الذهاب، آن وقت الذهاب). | |
وكامرأة عجوز عند نهاية حياتها | |
كان في وسعي استذكاره؛ صوت | |
رجل لم أُحببه عضعض مرةً | |
نهديّ وراح يهمس: | |
(حمامتيّ الصغيرتين، زنابقي، زنابقي البيض) | |
كدت أبكي حين تذكّرته. | |
. | |
لا أذكر متى بدأتُ بمناداة | |
الجميع (حبّوبي) | |
كما لو كانوا بناتي، | |
أعزائي، وعصافيري الصغيرة. | |
لطالما أحببت أكثر مما يلزم، | |
أو ليس بما يكفي. الليلة الفائتة | |
قرأتُ قصيدة عن الله وكدتُ | |
أصدّقها - الله يحتسي القهوة | |
ويدخّن التنباك المعسّل. | |
بلغت مرحلة في حياتي | |
حيث يمكنني أن أصدّق | |
كلّ شيء تقريباً. | |
. | |
اليوم، وأنا أملأ خزان سيارتي بالبنزين، وقفتُ | |
تحت المطر دون أي شعور بالكراهية وكل العالم | |
استحال صمتاً - السيارات تمرّ ساكنة على الإسفلت | |
المبلل، فم عامل المحطة | |
ينقفل وينفتح على هواء | |
وهو يتنقّل من مضخّة إلى أخرى، وخطواته | |
تمّحي تحت المطر - لا شيء | |
سوى الأرقام الصغيرة على نوافذهم المربّعة | |
تمرّ سريعاً بجوار كتفي، تنزلق الثواني | |
مهرولة وأنا واقفة هناك | |
متوازنة على قدمي، ممسكة خرطوم | |
البنزين بيدي، والمطر يتجمّع في شعري. | |
. | |
ورأيت أنه ما عاد مهماً | |
من أحبّني أو من أحببت. كنت وحيدة. | |
الإسفلت الأسود المزيّت، الوسامة الصقيلة | |
لعامل المحطّة الإيراني، الغيوم | |
المتكاثفة - لا شيء لي. أدركت أخيراً، | |
وبعد (فصل في الفلسفة)، | |
وألف كتاب من الشعر، وبعد الموت | |
والولادة وصرخات الرجال الحادّة | |
الذين هتفوا باسمي وهم يلجونني، | |
أدركت أني وحيدة، شعرت بذلك | |
في أعماق قلبي، وسمعت صداه يتردّد | |
كجرس رفيع. وعادت الأصوات، العجلات | |
والخطوات، وكل الحمولة الرقيقة | |
التي حملوها قائلين بلى وشكراً. | |
دفعتُ الرسم وصعدت إلى سيارتي | |
كأن شيئاً لم يكن - | |
كأن كل شيء يهم - ماذا يمكنني أن أفعل سوى ذلك؟ | |
. | |
قدت سيارتي الى محل البقالة | |
واشتريت خبزاً أبيض وحليباً | |
ولوح شوكولا ملفوفاً بورقة ذهبية، | |
ابتسمت لموظّفة المحاسبة المراهقة | |
بوجهها المبثّر واسمها | |
البلاستيكي المعلّق فوق صدرها الصغير، | |
وعرفت سرّها، خوفها اللذيذ، | |
ذلك الطائر الصغير. العزيزة الصغيرة. أعطتني | |
بقية النقود، وكيسي البني، والوصل الممزق، | |
دفعَت دُرج النقود بوركها، | |
وبادلتني الابتسامة. | |
* | |
ترجمة:سامر أبوهواش |
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بعد اثني عشر يوماً من المطر | دوريان لوكس / Dorianne Laux
Written By Lyly on السبت، 27 ديسمبر 2014 | ديسمبر 27, 2014
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