أفقتُ على الجفاف وكانت السراخس ميتة، | |
النباتات التي في القدور الفخارية صفراء كالذرة؛ | |
امرأتي رحلت | |
والزجاجات الفارغة تحاصرني، كجثث مدمّاة، | |
بلاجدواها؛ | |
كانت الشمس لا تزال تسطع مع ذلك | |
وملحوظة صاحبة البيت تكسّرت في اصفرار مناسب | |
غير متطلّب؛ أكثر ما كنت بحاجة اليه وقتذاك | |
كوميدي جيد، من الأسلوب القديم، مهرّج | |
يحمل نكاتاً على ألم مجرّد؛ الألم مجرّد | |
لأنه موجود، لا أكثر؛ | |
حلقتُ، بشفرة قديمة، وبحذر | |
ذقن الرجل الذي كان يافعاً ذات مرة وقيل | |
إنه عبقري؛ | |
لكنها مأساة العشب، | |
السراخس الميتة، النباتات الميتة؛ | |
وعبرتُ الردهة المعتمة | |
حيث تقف صاحبة البيت | |
لاعنةً ومرسلة إياي، أخيراً، | |
إلى الجحيم، | |
ملوّحة بذراعيها السمينتين المعرّقتين | |
وصارخة | |
صارخة تطالب بالإيجار | |
لأن العالم خذلنا | |
نحن الإثنين. | |
* | |
ترجمة: سامر أبو هواش |
مأساة العشب | تشارلز بوكوفسكي / Charles Bukowski
Written By هشام الصباحي on الأربعاء، 14 أكتوبر 2015 | أكتوبر 14, 2015
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