دميةٌ مكسورة وحيدة متحرّكة | |
فتاة الإستعراض | |
بجناحيها بحركاتها | |
تطالب برقع هواء | |
في محيط غير متوقّع | |
بلا وردة ريح | |
بلا شمال ليليّ، ولا جنوب صيفيّ | |
لا جدوى الأسفار | |
تحملها الى جزيرة المسرح | |
لكي ترقص رقصة موتها الأحمق | |
موت تتصنّعه | |
كي لا تتصنّع الحياة | |
لا، هي لا تقرأ حتى آخر ساعات الليل | |
ولا تسافر الى الجنوب شتاءً | |
لكن لديها سراويل من زبدٍ عنبريّ | |
وثياب داخلية منمنمة | |
امير ليلكيّ | |
يرميها عن صخرة اللذائذ العابرة | |
فتغوص عيناها الليليتان تحت الماء | |
فتاة الاستعراض | |
تنفرج شفتاها للذة ممنوعة | |
لذة أن تتكلم بالكاد | |
فوق الليل الحنون | |
فوق معطف من الازهار المثلجة | |
ترخي شعرها المستعار | |
شعر فتاة متحررة | |
بينما تستأثر غيتارات غير إلكترونية بلحظة الوداع | |
انكسري يا ممثلة الرغبة | |
من حب الحياة انكسري | |
كما لو | |
كما لو ان هذه الليلة عرضكِ الأخير. | |
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ترجمة: جمانة حداد |
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جمانة حداد
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مانويل فاسكيث مونتالبان
» كما لو أن هذه الليلة عرضكِ الأخير | مانويل فاسكيث مونتالبان Manuel V.
Montalban | ترجمة جمانة حداد
كما لو أن هذه الليلة عرضكِ الأخير | مانويل فاسكيث مونتالبان Manuel V. Montalban | ترجمة جمانة حداد
Written By هشام الصباحي on الجمعة، 25 سبتمبر 2015 | سبتمبر 25, 2015
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