إيكو المسكين المضروب بالحبّ عالقٌ بتكرار | |
كل ما يقول. ربما | |
ظن أنه استحق ذلك، | |
أن تكون صاحبته حوريّة تكرّر | |
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كلّ ما يقول؛ ربما | |
أحبّ كيف تعكسه كمرآة، | |
تقول له أنت جميل | |
حين يقول لها أنت جميلة، | |
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صاحبةٌ تحبّه أكثر من مرآتها. | |
ليس أنه كان لديهم مرايا في تلك الأيّام؛ | |
تلك كانت المشكلة. كانت جميلة بأية حال، | |
لكنه لم يكن مهتمّاً بالحوريّات. | |
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لو كانت لديهم مرايا في تلك الأيام | |
لما غرق في تلك البحيرة العاكسة، | |
إذ وجد صورته أكثر روعة من الحوريّات. | |
لكنه ربما كان ضرب نفسه في المرآة | |
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وقتلها في كلّ الأحوال، ببحيرة أم من دون بحيرة. | |
لم يكن من إرادة حرة في تلك الأيام، الإرادة للآلهة وحدها. | |
تستطيع ضرب رأسك بقدَرك، ورغم ذلك، | |
إذا كنت نرسيس، فستنتهي كزهرة بيضاء | |
ملتصقة بالأرض عديمة الإرادة، تقطفها أو تدوسها الآلهة، | |
وربما يقول أحدهم هذا ما كان ينبغي أن يكون، | |
أن يتحوّل الجمال إلى زهرة بيضاء، | |
إلى صدى مسكين، ليصير حبّ أحدهم الملتصق | |
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بالأرض، الأرض، الأرض، الأرض. | |
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* إيكو أي الصدى: وهي الحورية التي أحبت نرسيس في الأساطير اليونانية وتلاشت لصدى | |
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ترجمة:سامر أبوهواش |
إيكو (*) ونرسيس | كيم أدونيزيو Kim Addonizio
Written By هشام الصباحي on الخميس، 5 نوفمبر 2015 | نوفمبر 05, 2015
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