إكليلٌ ضُفِـرَ من أوراقٍ داكنة في ناحية أكرا*: | |
هناك كبحتُ جماحَ الحصان الأدهم حواليَّ | |
وصوَّبتُ الخنجرَ نحو الموت طاعناً. | |
أيضاً شربتُ من كؤوسٍ خشبيّةٍ رمادَ الينابيع من أكرا | |
وبخوذة مُنكَّـسَـةٍ ناصِـيَـتُها توجّهت قُدُماً نحو أنقاض السّموات. | |
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لأنَّ الملائكةَ أمواتٌ وأعمى صار الربّ في ناحية أكرا، | |
ولا أحدَ يحرسُ لي في نومهم أولئك الذين ذهبوا للراحة هنا. | |
قُطِّع القمرُ إرباً إرباً، الزّهَـيْرةُ لناحيةِ أكرا: | |
كذا تُزهِـرُ، التي تحاكي الأشواك، الأيدي بخواتمَ صَدِئـةٍ. | |
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لذا يجب عليَّ أنْ أنحنيَ أخيراً للقُبـلةِ، عندما يُصَلّون في أكرا… | |
أه سيِّـئاً كان تُرْسُ اللّيل، الدَّم ينزفُ من خلال المشابك. | |
كذا صرتُ أخاهم الباسمَ، الملاكَ الحديدَ من أكرا. | |
لذا لا أزال أصرِّحُ بالاسم ولا أزال أ ُحِسّ ُ بالنار على الخدَّين. | |
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جسدُكِ أسمرُ ليلاً من حُمّى الإله، | |
وعلى خدَّيْـكِِ يُؤرجِح فمي مشاعلَ. | |
لا يكون مُهدهَـداً، مَنْ لمْ يُغنّـوا له تهويدةَ النوم. | |
بيدٍ ملأى ثلجـاً، ذهبتُ إليكِ. | |
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وليس معروفاً، كيف تَـزرَقّ ُ عـيـناكِ | |
في مدار السّاعاتِ. ( كان القمر حينذاك مُدوّراً أكثرَ.) | |
تنتحب معجزة في خِيَمٍ خاليـةٍ. | |
يتجمّـد كوزُ الحُـلْـم ِ الصّغيرُ- ماذا يضيرُ؟ | |
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تذكّري: ورقةٌ داكنة تعلّقت في البيلسان- | |
العلامةُ الجميلة لكأس الدّم. | |
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عبثاً ترسُمين قلوباً على النافذة: | |
أمير السّكون | |
يحشُد جيشاً أسفلَ في باحة القلعة، | |
وينصب رايتَه في الشجرة - ورقة، تزرقّ له عندما تكون | |
ثمّةَ علاماتُ خريف؛ | |
يوزّع أعوادَ الحزنِ في الجيش وأزهار الزمن؛ | |
بطيور في الشَّعر يذهب بعيداً ليُـغـرقَ السّيوف. | |
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عبثاً ترسُمين قلوباً على النافذة: إله بين حشود العسكر، | |
ملفوف بالمعطف، الذي انزلق مرةً من على كتفيكِ ليلاً، | |
على عتباتِ السُّـلَّـم، | |
مرّةً، عندما كانت القلعةُ تلتهبُ، عندما تكلّمتِ مثلَ البشر: | |
حبيبتي... | |
لا يَعرفُ المعطفَ ولم ينادِ النجمةَ ويتبع تلك الورقةَ | |
التي تحوم أمـامَه. | |
‘ أوه يا عودُ ‘، يتوهم أن يسمع، " أوه يا زهرةَ الزمن. " | |
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*عكا- شمال فلسطين | |
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ترجمة : د. بهجت عباس | |
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EIN LIED IN DER WÜSTE | |
Paul Celan | |
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Ein Kranz ward gewunden aus schwärzlichem Laub in der Gegend von Akra: | |
dort riß ich den Rappen herum und stach nach dem Tod mit dem Degen. | |
Auch trank ich aus hölzernen Schalen die Asche der Brunnen von Akra | |
und zog mit gefälltem Visier den Trümmern der Himmel entgegen. | |
Denn tot sind die Engel und blind ward der Herr in der Gegend von Akra, | |
und keiner ist, der mir betreue im Schlaf die zur Ruhe hier gingen. | |
Zuschanden gehaun ward der Mond, das Blümlein der Gegend von Akra: | |
so blühn, die den Dornen es gleichtun, die Hände mit rostigen Ringen. | |
So muß ich zum Kuß mich wohl bücken zuletzt, wenn sie beten in Akra . . . | |
O schlecht war die Brünne der Nacht, es sickert das Blut durch die Spangen! | |
So ward ich ihr lächelnder Bruder, der eiserne Cherub von Akra. | |
So sprech ich den Namen noch aus und fühl noch den Brand auf den Wangen. | |
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NACHTS ist dein Leib von Gottes Fieber braun: | |
mein Mund schwingt Fackeln über deinen Wangen. | |
Nicht sei gewiegt, dem sie kein Schlaflied sangen. | |
Die Hand voll Schnee, bin ich zu dir gegangen, | |
und ungewiß, wie deine Augen blaun | |
im Stundenrund. (Der Mond von einst war runder.) | |
Verschluchzt in leeren Zelten ist das Wunder, | |
vereist das Krüglein Traums – was tuts? | |
Gedenk: ein schwärzlich Blatt hing im Holunder – | |
das schöne Zeichen für den Becher Bluts. | |
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UMSONST malst du Herzen ans Fenster: | |
der Herzog der Stille | |
wirbt unten im Schloßhof Soldaten. | |
Sein Banner hißt er im Baum – ein Blatt, das ihm blaut, wenn es herbstet; | |
die Halme der Schwermut verteilt er im Heer und die Blumen der Zeit; | |
mit Vögeln im Haar geht er hin zu versenken die Schwerter. | |
Umsonst malst du Herzen ans Fenster: ein Gott ist unter den Scharen, | |
gehüllt in den Mantel, der einst von den Schultern dir sank auf der Treppe, zur Nachtzeit, | |
einst, als in Flammen das Schloß stand, als du sprachst wie die Menschen: Geliebte . . . | |
Er kennt nicht den Mantel und rief nicht den Stern an und folgt jenem Blatt, das vorausschwebt. | |
'O Halm', vermeint er zu hören, 'o Blume der Zeit'. |
أغنية في الصَّحراء | باول تسيلان / Paul Celan
Written By هشام الصباحي on الثلاثاء، 27 أكتوبر 2015 | أكتوبر 27, 2015
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