إنها مستعادة | |
ماذا ؟ الأبدية. | |
انها البحر المتوافق | |
مع الشمس. | |
أيتها الروح المترصدة | |
فلنوشوش الاعتراف | |
عن الليل الباطل جداً | |
والنهار الملتهب. | |
من الآراء البشرية | |
والحماسات الشاسعة | |
هنا تنعقين | |
وتطيرين على هواك. | |
هنا لا أمل | |
ولا شروق | |
علم مع صبر | |
العذاب أكيد. | |
إنها مستعادة | |
ماذا؟ | |
الأبدية. | |
إنها البحر المتوافق | |
مع الشمس. | |
. | |
لقد باتت صحتي مهددة. | |
وراح الرعب يقترب. | |
كنت أسقط في إغفاءات لعدة أيام¡ واكمل¡ | |
وقد استيقظت اكثر الأحلام كآبة. | |
كنت ناضجاً للموت¡ وكان ضعفي يقودني | |
على درب محفوفة بالمخاطر، | |
الى تخوم العالم ((السيميري)) موطن | |
الظلام والزوابع. | |
كان على أن أسافر | |
أن ألهي الفتون المتجمعة فوق دماغي. | |
على البحر الذي أحببته كما لو كان عليه | |
أن يغسلني | |
من لوثه | |
. | |
السعادة كانت قدري¡ ندامتي، | |
دودتي: ستظل حياتي دائماً أوسع من أن تكون | |
منذورة للقوة والجمال. | |
السعادة¡ نابها¡ العذبُ حتى الموت¡ | |
أنذرني عند صياح الديك في أحلك | |
المدن ظلاماً. | |
هذا قد مضى. | |
أعرف اليوم أن أودع الجمال. | |
في الغابة¡ يوجد عصفور¡ | |
غناؤه يوقفك ويجعلك تحمر. | |
يوجد ساعة لا تدق. | |
يوجد ردغة مع عش من الحيوانات | |
البيضاء. | |
يوجد كاتدرائية تهبط | |
وبحيرة تصعد. | |
يوجد عربة صغيرة مهجورة في الحرش، | |
أو تهبط الدرب راكضة¡ مزينة بالشرائط. | |
يوجد فرقة من المهرجين الصغار بملابس التمثيل، | |
مترائين على الطريق عبر حاشية الغابة. | |
يوجد أخيراً، عندما يكون بك جوع وعطش¡ | |
أحد ما يطردك. | |
. | |
كنت أحب الصحراء. | |
البساتين المحروقة¡ الحوانيت | |
الذابلة¡ الكحول الفاترة. | |
كنت أنسحب في الأزقة المنتنة¡ | |
وأهب نفسي¡ مغمض العينين للشمس¡ | |
آلهة النهار. | |
(أيها القائد¡ إن كان بقي مدفع عتيق) | |
على متاريسك المدمرة¡ اقصفنا بكتل أرض يابسة. | |
في مرايا المخازن الرائعة ! | |
في غرف الاستقبال ! اجعل المدينة تأكل غبارها. | |
اغمر المزا ريب بالصدأ. | |
(املأ المخادع بمسحوق ياقوت ملتهب) | |
آه! الذبابة السكرانة في مبولة الحانة¡ عاشقة عشبه | |
الحميم المعرقة¡ والتي يذيبها | |
الشعاع. | |
وأخيراً | |
يا للسعادة. يا للعقل. | |
أبعدت عن السماء اللازورد الذي هو سواد¡ وعشت | |
شرارة ذهب من الضوء ((طبيعة)) من فرح¡ | |
كنت اتخذ تعبيراً بهلوانياً وتائهاً إلى أقصى حد. | |
صرت أوبرا خرافية: | |
رأيت ان كل الكائنات تملك قدراً من السعادة. | |
الفعل ليس هو الحياة¡ | |
لكنه وسيلة لافساد قوة ما¡ | |
تهيج أعصاب. | |
علم الأخلاق هو إعياء الدماغ. | |
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* مُقتطفات من شعر رامبو | |
ترجمة المقاطع: سمير الحاج شاهين |
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آرثر رامبو
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» الذبابة السكرانة* | آرثر رامبو / Arthur Rimbaud |ترجمة سمير الحاج شاهين
الذبابة السكرانة* | آرثر رامبو / Arthur Rimbaud |ترجمة سمير الحاج شاهين
Written By هشام الصباحي on الأحد، 13 سبتمبر 2015 | سبتمبر 13, 2015
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